ख़ुशी a short story
Merry Christmas
आज के इस सुंदर दिवस पर चलें हम भी किसी के लिए सांता बन जाएँ
किसी के चेहरे पर थोड़ी सी मुस्कराहट ला दें
जुगनू बनकर ही सही, कुछ पल उसके भी रोशन कर दें।
ख़ुशी
सोहनी अपने दफ्तर से लौट रही थी। उसे आज थोड़ी देर हो गई थी। जैसे ही अपने अपार्टमेंट में घुसी वहाँ एक कोने में कुर्सी पर बैठे कपूर अंकल दिखाई दिए। कपूर अंकल बहुत दिनों बाद दिखे थे।
उन्हें देख कर सोहनी मुस्कराई और पूछा – आंटी कहाँ हैं?
उन्होंने घर की ओर इशारा किया। उनका घर पहली मंज़िल पर था।
बूढी कपूर आंटी हमेशा सीढ़ियों के पास कुर्सी पर बैठी मिलती थीं और सोहनी से हर बार कहती थीं कि कभी आओ, साथ बैठो। आज सोहनी को वैसे ही देर हो रही थी ,पर न जाने क्यों वह ऊपर उनसे मिलने चल पड़ी थी। वह सीढ़ी चढ़ ही रही थी कि कपूर आंटी धीरे- धीरे सीढियाँ उतरती दिखाई दीं। सोहनी वहीँ रुक गई।
कपूर आंटी उसे देखते ही बस ख़ुशी से कह उठीं – अरे! इतने दिनों बाद दिखाई दी हो ? कितना अच्छा लग रहा है , चलो न ऊपर चलो , कभी नहीं आती हो।
आंटी , आपको सरप्राइज देना चाहती थी , अब तो आप मिल ही गई हैं , चलो यहीं मिल लेते हैं। और बताइए आप कैसी हैं ?
वे तो कुछ सुनने को राजी ही नहीं हुई। बस ऊपर घर ही ले गईं उसे.! तभी अंकल भी ऊपर आ गए। फटाफट फ्रिज से कुछ चॉक्लेट निकाली और सोहनी को पकड़ा दीं। कपूर आंटी झट कभी कोई चीज कभी कुछ , बस सामने खाने का सामान रखती चली गयीं। कहा , बस खाओ।
सोहनी उन दोनों को देखे चली जा रही थी। दो महीने विदेश में अपने बच्चों के पास रहकर वे भारत वापिस आए थे। आंटी सोहनी को फटाफट सारी बातें बताती चली गयीं। सोहनी उनकी आँखों की चमक देख कर मुस्कुरा उठी। उन बूढ़े कपूर अंकल और आंटी के साथ बिताये वे प्रसन्नता भरे पंद्रह मिनट उसे हमेशा याद रहेंगे।
उषा छाबड़ा
25.12.16