04 Dec

डियर जिंदगी

     डियर जिंदगी

फिल्में वाकई संचार का एक सशक्त माध्यम हैं।आज डियर जिंदगी फिल्म देखने का मौका मिला।
फिल्म ने बड़ी ही सुंदरता से दिखाया कि  जिस प्रकार शरीर के बाकी अंगों में जब समस्या आती है तब हम डॉक्टर के पास जाकर उसका इलाज करना शुरू कर देते हैं, पर जब हम दिमाग में बोझ लिए चलते हैं , जब कुछ ठीक नहीं चल रहा लगता , जब मन में कोई बात दिक्कत पैदा कर रही होती है , हम उससे जूझने में असमर्थता महसूस करते हैं , फिर भी इस बारे में किसी डॉक्टर की सहायता लेना उचित नहीं समझते।  समाज में इस विषय में सब चुप्पी साध लेते हैं।  
दरअसल कई बार बचपन में , या  कभी किसी रिश्ते में  , या कभी अपने काम को लेकर हम परेशान रहते हैं , उस समय वाकई किसी ऐसे व्यक्ति की आवश्यकता महसूस होती है जो आपको तटस्थ होकर सुने , आपको स्वयं ऐसे ताकत दिलाए जिससे कि  आप उन उलझनों को सुलझा सकें।  आवश्यकता  होती  है किसी ऐसे अपने की। 
समस्याएं जीवन का हिस्सा हैं पर उनसे  उबरना कई बार आसान नहीं होता। बड़े होते हुए बच्चे कई बार ऐसी स्थिति  से गुजरते हैं। उस समय अगर उसके माँ- बाप उससे  समय -समय पर बात करते रहे , उसकी समस्याओं को सुनें , तो धीरे धीरे बच्चे उनसे बाहर निकल जाते हैं।  बच्चे पर गुस्सा न कर , अपने आप को शांत कर , धैर्य से समस्या का समाधान निकाला जा सकता है।  जिन बच्चों को माता- पिता का यह साथ नहीं मिलता, वे  इसके लिए अपने मित्रों का रुख कर लेते हैं।  कई बार मित्र सही रास्ता दिखाते हैं  , पर कई बार  यह गलत मोड़ ले लेता है।  
ज़िन्दगी में रफ़्तार जरूरी है , पर इतनी नहीं कि हमारे बच्चे हमसे  पीछे छूट जाएँ। ज़िन्दगी जीने के लिए है, बोझिल बनाकर इसे व्यर्थ न करें।  बच्चों के साथ हँसते -खेलते हर लम्हे का आनंद लें । ज़िन्दगी कीमती है । .ज़िन्दगी वाकई नहीं मिलेगी दुबारा, इसे खूबसूरत बनाएँ।   

    Comments

  1. December 6, 2016

    आपने ठीक ही कहा -ज़िंदगी का एक एक पल खूबसूरत बनाने के लिए बच्चों का साथ जरूरी है। आज की भागदौड़ में माँ -बाप शायद इस तथ्य को ठुकरा रहे हैं।

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  2. December 8, 2016

    हार्दिक आभार।

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  3. December 29, 2016

    You have share such a informative post, are you interested in book publishing? send your publishing request today: self publish with Online Gatha

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  4. December 30, 2016

    Thank you .

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The course is of seven hours duration.

The participants will be exposed to a variety of stories through performance storytelling with the help of props, voice modulation and gestures. Theatre games will help the participants to understand their bodies and feel comfortable.

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