29 May

उसकी आँखें कहीं आपको तो नहीं ढूँढ़ रहीं !

    उसकी आँखें कहीं आपको तो नहीं ढूँढ़ रहीं !   अच्छा लगता है जब आप के साथ कोई चलता है, भरी भीड़ में जब आप अकेले दौड़ रहे होते हैं, तब आँखें तरसती हैं, उन्हें देखने, जो आपके लिए खड़े होते हैं, जो आपके लिए तालियाँ बजाते हैं , उनके चेहरे की मुस्कुराहट, उनकी आँखों  की चमक, आपके पैरों में नई उमंग और जान डाल देती है, हजारों की भीड़ में वे चंद चेहरे आपको तरोताजा कर देते हैं, चाहे सबकी आवाजों में उनकी आवाज़  अलग से नहीं सुनाई देती, लेकिन उनके शब्द आपके कानों तक जरूर पहुँचते हैं, आइए, हौंसला बढ़ाएँ , तालियाँ बजाएँ, जश्न मनाएँ , किसी की जीत का, उसकी आँखें, कहीं आपको तो नहीं ढूँढ़ रहीं ! उषा छाबड़ा

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