24 Aug

नन्हा सा सलोना कृष्ण

नन्हा सा सलोना कृष्ण, 
पैरों में पैंजनी और होठों पर बाँसुरी ,
मुँह पर माखन और प्यारी मुस्कान 
ओह , कितना प्यारा रूप है तेरा कान्हा !!
कैसे तू इतना नटखट हुआ !  कैसे पूतना को मार गिराया ! कैसे सब गोपियों को वश में किया ! कैसे अपनी उँगलियों पर गोवर्धन उठाया! कैसे कंस का वध कर डाला! कैसे द्रौपदी की लाज रखी ! कैसे गीता की रचना की ! कैसे तुमने इतने चमत्कार दिखाए !! कैसे एक रूप में, इतने रूप समाये!! तुम कर्मयोगी, तुम दार्शनिक , तुम साधारण में असाधारण , तुम ही प्राण, तुम ही आधार , कोटि नमन तुम्हें हे पूर्णावतार। उषा छाबड़ा २४. ८. १६

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